आज सबसे पहले विश्वविजेता बेटियों के संकल्प को सलाम… आज टीम इंडिया के साथ ‘हर-मन’ का भी अभिनंदन, सबने 52 साल के बाद मां भारती के भाल पर विश्वविजेता होने के कुमकुम से तिलक करने की कसम उठाई थी। भावनाओं के पारावार के बीच मेरी आत्मा कह रही है; ‘जब हो जाते सब शब्द मौन, अनुगूंज तभी करता अंतर्मन।’ इन तस्वीरों के साथ आपको भी बेटियों के चैंपियन बनने की बधाई।
आज सबसे पहले विश्वविजेता बेटियों के संकल्प को सलाम… आज टीम इंडिया के साथ ‘हर-मन’ का भी अभिनंदन, सबने 52 साल के बाद मां भारती के भाल पर विश्वविजेता होने के कुमकुम से तिलक करने की कसम उठाई थी। भावनाओं के पारावार के बीच मेरी आत्मा कह रही है; ‘जब हो जाते सब शब्द मौन, अनुगूंज तभी करता अंतर्मन।’ इन तस्वीरों के साथ आपको भी बेटियों के चैंपियन बनने की बधाई।
आज सबसे पहले विश्वविजेता बेटियों के संकल्प को सलाम… आज टीम इंडिया के साथ ‘हर-मन’ का भी अभिनंदन, सबने 52 साल के बाद मां भारती के भाल पर विश्वविजेता होने के कुमकुम से तिलक करने की कसम उठाई थी। भावनाओं के पारावार के बीच मेरी आत्मा कह रही है; ‘जब हो जाते सब शब्द मौन, अनुगूंज तभी करता अंतर्मन।’ इन तस्वीरों के साथ आपको भी बेटियों के चैंपियन बनने की बधाई।

आज परमानंद के लम्हों की अनुभूति और इसकी व्याख्या करने के लिए अखिल ब्रह्मांड के शब्दकोष भी कम पड़ रहे हैं। दरअसल, सरजमीं-ए-हिंद की शान में अल्लामा इकबाल ने एक सदी से भी अधिक पहले लिखा था- सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा… आज भारत की पराक्रमी बेटियों ने इसे चरितार्थ कर दिखाया। चैंपियन बेटियों के साथ पूरा देश झूम रहा है। महिला क्रिकेट टीम की कप्तान के साथ-साथ आज ‘हर-मन’ की आस पूरी हुई है।
जीवन में जीत के संकल्प को सिद्ध कर दिखाने वाली विभूतियां
इस ऐतिहासिक अवसर पर अमर उजाला ने चंद तस्वीरों में विश्वविजेता भारत की करिश्माई बेटियों के गौरवशाली लम्हों को सहेजने का एक विनम्र प्रयास किया है। आप भी जीत के इन गौरवशाली क्षणों का आनंद लीजिए… मुबारकबाद दीजिए जीवन में जीत के संकल्प को सिद्ध कर दिखाने वाली इन विभूतियों को… टीम इंडिया में शामिल हर एक शख्स ने न केवल अपने कौशल से अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि इन्होंने अपनी जन्मभूमि को भी गौरवान्वित किया है।
मां भारती के भाल पर बेटियों ने 52 साल के बाद विश्वविजय का विजयतिलक किया
52 साल बाद 52 रनों की जीत ने इस खेल की दुनिया में भगवान का दर्जा पा चुके सचिन तेंदुलकर के कथनों को भी चरितार्थ किया है। ’22 गज के रंगमंच’ पर महज 16 साल की आयु में पदार्पण करने वाले सचिन ने 24 साल तक पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराया। 2-3 नवंबर की दरम्यानी रात महाराष्ट्र के नवी मुंबई में दीप्ति शर्मा ने जैसे ही दक्षिण अफ्रीका के 10वें बल्लेबाज को आउट किया, एक पल के लिए ऐसा एहसास हुआ मानो मां भारती के भाल पर बेटियों ने 52 साल के बाद विश्वविजय का विजयतिलक किया हो… इस अद्वितीय क्षण के साक्षी खुद सचिन भी बने।
सपनों का पीछा करो, वे सच होते हैं’
दरअसल, आज पूरा विश्व भारत की बेटियों के कौशल का सराहना कर रहा है। क्रिकेट की पिच को नमन करते हुए जब मास्टर ब्लास्टर सचिन ने पेशेवर क्रिकेट को अलविदा कहा था तो उन्होंने युवाओं को संदेश दिया था– अपने सपनों का पीछा करो, वे सच होते ही हैं (Chase Your Dreams, They Do Come True)। ये भी क्या गजब संयोग है कि 2013 में सचिन की रिटायरमेंट का महीना भी नवंबर ही था।
पराक्रमी चैंपियन… और कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण का संदेश
इस मौके पर कहना गलत नहीं होगा कि कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता सुनाते हुए श्रीकृष्ण ने जो संदेश दिया, जाने-अनजाने तमाम पराक्रमी चैंपियन उसे भी चरितार्थ करते हैं। गीता के तीसरे अध्याय में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।हर लड़ाई जीतने का फौलादी इरादा…
इस श्लोक में माधव निराशा को छोड़कर युद्ध करने यानी कर्म में रत रहने और परिणाम की परवाह न करने का संदेश दे रहे हैं। विश्वकप 2025 में टीम इंडिया के सफर को देखने पर ऐसा ही एहसास होता है कि भारत की बेटियों ने अपने संकल्प को सिद्ध करने के लिए हर लड़ाई जीतने का फौलादी इरादा कमजोर नहीं पड़ने दिया। शायद यही कारण है कि हार की हैट्रिक के बाद भी भारत ने शानदार वापसी की और पांच दशकों के बाद अभूतपूर्व विजयश्री के साथ मां-भारती की झोली भर दी।
‘काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं’
आज भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां भी याद आ रही हैं। टीम इंडिया ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिखाया है कि जब संकल्प नया इतिहास बनाने का हो तो नव अंकुर उगते ही हैं। शायद हार के मायूस क्षणों में अपने जज्बे को बनाए रखने के लिए भारतीय टीम ने वाजपेयी की उन पंक्तियों का भी सहारा लिया होगा, जहां वे किसी भी हाल में हार न मनाने का संकल्प लेते हैं। अपनी कविता ‘गीत नया गाता हूं’ में वाजपेयी लिखते हैं;
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
हम वही जिसने समंदर की लहर पर बांध साधा
जब कप्तान हरमनप्रीत विश्वविजेता टीम की तरफ से वर्ल्डकप ट्रॉफी लेने मंच पर पहुंचीं तो ऐसा लगा जैसे एशिया के परिंदे पूरी दुनिया के सामने इस बात का जयघोष कर रहे हों कि हमारी हद आसमां है… इस दीप्तिमान क्षण में डॉ कुमार विश्वास की पंक्तियां भी याद आ रही हैं, जहां उन्होंने भारत के संकल्प को जिजीविषा को रेखांकित करते हुए लिखा है-
एशिया के हम परिंदे, आसमां है हद हमारी
जानते हैं चांद सूरज, जिद हमारी जद हमारी
हम वही जिसने समंदर की लहर पर बांध साधा
हम वही जिनके लिए दिन रात की उपजी न बाधाशेरनियों की ऐतिहासिक विजयगाथा
आज पूरा देश कप्तान हरमनप्रीत की अगुआई वाली टीम में शामिल शेफाली वर्मा, दीप्ति शर्मा, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स, अमनजोत, ऋचा घोष और श्रीचरणी जैसी कई अन्य शेरनियों की ऐतिहासिक विजयगाथा सुनने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को सुना भी रहा है…
एशिया की पहली विश्वविजेता टीम भारत ने देश के भाल पर वर्ल्डचैंपियन का तमगा सजाया है… भावनाओं के आवेग में अंत में बस इतना…. नारी तू नारायणी, इस जग का आधार…












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