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हरिद्वार में उठ रहा है धर्मोदय का सूर्य — 1000 करोड़ की लागत से बन रहा ‘विश्व सनातन महापीठ’, युगधर्म का केंद्र बनेगा यह महाप्रकल्प

भारत की पवित्र भूमि हरिद्वार एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। जहाँ गंगा बहती है, जहाँ ऋषि-मुनियों ने युगों तक सत्य और तप का संचार किया — वहीं अब तीर्थ सेवा न्यास के तत्वावधान में आरंभ हुआ है “विश्व सनातन महापीठ”, एक ऐसा महाप्रकल्प जो केवल भारत का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनने जा रहा है।


यह महाप्रकल्प भारत की आत्मा का पुनरुत्थान है — एक ऐसे भारत का, जो ‘विश्वगुरु’ कहलाने योग्य है। यह केवल ईंट-पत्थरों का निर्माण नहीं, बल्कि वैदिक संस्कृति, सनातन धर्म, और भारतीय आदर्शों के पुनर्जागरण की जीवित प्रतिमूर्ति है।

1000 करोड़ की भव्य परिकल्पना
कुछ माह पूर्व जब इस प्रकल्प की घोषणा हुई थी, तब इसकी अनुमानित लागत ₹500 करोड़ थी। परंतु जैसे-जैसे इसकी अवधारणा विस्तृत और सर्वसमावेशी रूप लेती गई, इसे अब बढ़ाकर ₹1000 करोड़ का दिव्य-सांस्कृतिक महायज्ञ घोषित किया गया है। यह वृद्धि केवल संख्या नहीं, बल्कि उस भावनात्मक विस्तार का प्रतीक है जिसमें विश्व सनातन महापीठ अब सम्पूर्ण मानवता को जोड़ने की दिशा में अग्रसर है।

हरिद्वार में 21 नवम्बर को उद्घोषणा एवं शिला पूजन
आगामी 21 नवम्बर 2025 को हरिद्वार की पावन भूमि पर विश्व सनातन महापीठ का उद्घोषणा एवं शिला पूजन समारोह होगा। यह केवल एक समारोह नहीं, बल्कि युग परिवर्तन का शुभारंभ होगा। इस दिन भारत के प्रमुख संत-महापुरुष, विद्वान, समाजसेवी और संस्कृति साधक एक साथ एक मंच पर आकर इस नये युग की नींव रखेंगे।

विश्व का सर्वश्रेष्ठ गुरुकुल — 10,000 विद्यार्थियों हेतु
महापीठ का सबसे प्रेरणादायक केंद्र होगा — विश्व का सबसे अद्वितीय गुरुकुल, जहाँ 10,000 विद्यार्थी आवासीय रूप से वैदिक ज्ञान, विज्ञान, योग, चरित्र निर्माण और संस्कृति का एकात्म शिक्षण प्राप्त करेंगे। यह वह गुरुकुल होगा जहाँ शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और मानवीय मूल्य सिखाने का उपक्रम होगी। यहाँ बालक केवल पढ़ेगा नहीं, बल्कि जीवन जीना सीखेगा।

सनातन संसद भवन — धर्म से नीति की दिशा
महापीठ में स्थापित होगा विश्व का पहला “सनातन संसद भवन”, जहाँ से धर्म, नीति, न्याय और संस्कृति पर वैश्विक विमर्श होंगे। यह भवन धर्मादेशों और नैतिक मार्गदर्शन का विश्वकेंद्र बनेगा — जहाँ से “एक विश्व – एक धर्म – एक विधान – एक ध्वज – एक ग्रंथ” का आदर्श प्रसारित होगा।

वेद मंदिर और वेद विश्वविद्यालय
यहाँ निर्मित होगा वेद मंदिर और वेद विश्वविद्यालय, जहाँ से ऋषि परंपरा का पुनर्जागरण होगा। वैदिक गणित, खगोल, आयुर्वेद, दर्शन और अध्यात्म का अध्ययन आधुनिक अनुसंधान के साथ संयोजित कर विश्व को नई दिशा दी जाएगी।

धार्मिक एकता और समरसता का प्रांगण
महापीठ की योजना में भारत के सभी पंथों और मतों के प्रति समान श्रद्धा रखी गई है। यहाँ सिख, जैन, बौद्ध, आर्य समाज, रविदास, कबीर और अन्य परंपराओं के लिए विशेष “एकता प्रांगण” बनाए जाएंगे, जहाँ उनके महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित होंगी। यह व्यवस्था इस तथ्य को सशक्त करती है कि “सनातन धर्म विभाजन नहीं, समरसता का पथ है।”

108 यज्ञशालाएँ और तीर्थ परिक्रमा पथ
महापीठ के हृदय में बनेगा 108 यज्ञशालाओं का परिसर, जहाँ नित्य वैदिक अनुष्ठान होंगे। इसके चारों ओर होगा 108 प्रमुख तीर्थों का प्रतीकात्मक परिक्रमा पथ, जिससे श्रद्धालु सम्पूर्ण भारत की तीर्थ यात्रा का अनुभव एक ही स्थान पर कर सकेंगे।

गौसंवर्धन, आत्मरक्षा और सेवा केंद्र
यहाँ वेदसम्मत गौसंवर्धन केंद्र, अन्नपूर्णा भोजनालय, ध्यान केंद्र और धर्मयोद्धा प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित होंगे। आत्मरक्षा और शौर्य प्रशिक्षण के माध्यम से युवा वर्ग को धर्म की रक्षा और समाज सेवा के लिए सशक्त बनाया जाएगा।

सनातन टाइम म्यूज़ियम
महापीठ में बनाया जा रहा है “सनातन टाइम म्यूज़ियम”, जो वैदिक युग से लेकर आधुनिक भारत तक की धार्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक यात्रा को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगा। यह संग्रहालय भारत की आत्मा के विकास का दृश्य इतिहास होगा।

तीर्थ सेवा न्यास की प्रेरणा
इस महायोजना के प्रेरणास्रोत बाबा हठयोगी जी महाराज, अध्यक्ष तीर्थाचार्य संत राम विशाल दास जी महाराज, महामंत्री महन्त ओमदास जी एवं संरक्षक डॉ. गौतम खट्टर जी हैं।

बाबा हठयोगी जी महाराज का कहना है —
विश्व सनातन महापीठ धर्म, सत्य और संस्कृति की पुनःस्थापना का केंद्र बनेगा। यह भारत के आत्मस्वरूप का पुनर्जागरण है।”

तीर्थाचार्य संत राम विशाल दास जी महाराज कहते हैं —
“यह प्रकल्प आने वाले युगों के लिए ‘युगधर्म का दीपस्तम्भ’ है। यहाँ से मानवता के लिए नया जीवन दृष्टिकोण जन्म लेगा।”

डॉ. गौतम खट्टर जी का मत है —
“यह महापीठ केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक क्रांति का केंद्र बनेगा। धर्म और विज्ञान यहाँ साथ चलेंगे।”

महन्त ओमदास जी के शब्दों में —
“यह प्रकल्प भारत की विविधता को एक सूत्र में बाँधने का प्रयास है। सनातन की एकता से ही विश्व में शांति संभव है।”


एक नया युग आरंभ होने को है…
“विश्व सनातन महापीठ” उस युग की शुरुआत है, जहाँ भारत केवल अध्यात्म का नहीं, बल्कि नीति, विज्ञान, संस्कृति और नेतृत्व का भी मार्गदर्शक बनेगा। यह वह स्थान होगा जहाँ धर्म और आधुनिकता, परंपरा और प्रगति, आस्था और विज्ञान — एक साथ मिलकर नये विश्व का निर्माण करेंगे।
हरिद्वार की पवित्र धरा पर जब 21 नवम्बर को इसकी शिला रखी जाएगी, तो यह केवल एक भवन की नींव नहीं होगी, बल्कि सनातन युग के पुनर्जन्म की नींव होगी।


प्रस्तुतकर्ता: तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार
वेबसाइट: www.teerthsewanyas.org
ईमेल: teerthsewatrust@gmail.com

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