दीपावली के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 393 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। कुछ क्षेत्रों में AQI 450 से भी अधिक पहुंच गया।
प्रदूषण के कारण: वायु प्रदूषण का मुख्य कारण दीपावली पर पटाखों का बड़े पैमाने पर उपयोग था। इसके अलावा, पराली जलाना, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियां और मौसमी कारक भी प्रदूषण में योगदान दे रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि ‘हरित’ पटाखे भी प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहे।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: उच्च वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां, हृदय रोग, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को विशेष रूप से खतरा है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि लोग बाहर निकलने से बचें और N95 मास्क पहनें।
सरकारी उपाय: दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन उपाय लागू किए हैं। निर्माण कार्य बंद कर दिए गए हैं, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है, और स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई हैं। सरकार ने 29 अक्टूबर को कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई है।
दीर्घकालिक समाधान: विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आपातकालीन उपाय पर्याप्त नहीं हैं। पराली जलाने पर रोक, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना और जागरूकता अभियान जैसे दीर्घकालिक उपाय आवश्यक हैं।













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