हरिद्वार।
सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा के वैश्विक पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के रूप में हरिद्वार की पावन भूमि पर ₹1000 करोड़ की लागत से संसार का सबसे बड़ा “विश्व सनातन महापीठ” विकसित किया जा रहा है। यह महाप्रकल्प न केवल भारत, बल्कि विश्वभर में सनातन चेतना, साधना, शिक्षा और सेवा को एक संगठित व प्रमाणिक स्वरूप प्रदान करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है।
इस दिव्य और महत्वाकांक्षी परियोजना का शिला पूजन एवं उद्घोष समारोह 21 नवंबर 2025 को हरिद्वार में वैदिक मंत्रोच्चारण, यज्ञ और विधिवत पूजन के साथ संपन्न हुआ। संतों, आचार्यों, विद्वानों और श्रद्धालुओं की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ यह आयोजन सनातन धर्म के भविष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा रहा है।
दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष रखी गई वैश्विक परिकल्पना
इसी क्रम में 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में विश्व सनातन महापीठ को लेकर एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस अवसर पर महाप्रकल्प की परिकल्पना, उद्देश्य, निर्माण योजना और वैश्विक दृष्टिकोण को राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष विस्तार से प्रस्तुत किया गया।
तीर्थ सेवा न्यास की महापरियोजना
विश्व सनातन महापीठ, तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार की एक प्रमुख महापरियोजना (Mega Project) है। तीर्थ सेवा न्यास एक पंजीकृत सनातन संस्था है, जो वर्षों से धर्म, संस्कृति, तीर्थ संरक्षण, संत सेवा, शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है। न्यास का मुख्यालय हरिद्वार में स्थित है और इसके कार्यक्षेत्र देश के विभिन्न राज्यों तक विस्तृत हैं।
इस महाप्रकल्प का नेतृत्व पूज्य तीर्थाचार्य श्री राम विशाल दास जी महाराज कर रहे हैं, जो तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष एवं विश्व सनातन महापीठ के पीठाधीश्वर हैं। उनके मार्गदर्शन में यह परियोजना एक सुव्यवस्थित, दीर्घकालिक और राष्ट्रहितकारी स्वरूप में आगे बढ़ रही है।
परम पूज्य बाबा हठयोगी जी महाराज का संदेश
इस अवसर पर परम पूज्य बाबा हठयोगी जी महाराज ने कहा—
“विश्व सनातन महापीठ सनातन आत्मा की जागृति का केंद्र बनेगा। यहाँ धर्म केवल वाणी नहीं, बल्कि आचरण और जीवन का आधार होगा। साधना, सेवा और संस्कार के माध्यम से यह महापीठ समाज को सही दिशा प्रदान करेगी। सनातन चेतना को संगठित और सशक्त बनाने के लिए यह एक ऐतिहासिक संकल्प है।”
संतों, विद्वानों और पदाधिकारियों का मार्गदर्शन
इस महाप्रकल्प को अनेक प्रतिष्ठित संतों, विद्वानों और समाजसेवियों का मार्गदर्शन प्राप्त है। प्रमुख रूप से परम पूज्य बाबा हठयोगी जी महाराज, महन्त ओमदास जी महाराज, डॉ. गौतम खट्टर जी, श्री शिशिर चौधरी जी, सुश्री दीक्षा छिल्लर (निदेशक – मार्केटिंग) तथा आकाश जुगराज (डायरेक्टर – मीडिया एवं जनसंपर्क) परियोजना के संचालन, प्रचार और संगठनात्मक समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
2025 से 2032 तक चरणबद्ध निर्माण
आयोजकों के अनुसार, विश्व सनातन महापीठ का निर्माण कार्य वर्ष 2025 से प्रारंभ होकर 2032 तक चरणबद्ध रूप से पूर्ण किया जाएगा।
यह महापीठ हरिद्वार की लगभग 100 एकड़ पवित्र भूमि पर वैदिक वास्तुशास्त्र के अनुसार विकसित की जाएगी, जिसकी कुल अनुमानित लागत लगभग ₹1000 करोड़ है।
महापीठ में विकसित होने वाली प्रमुख संरचनाएँ
विश्व सनातन महापीठ को एक समग्र सनातन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से—
- विश्व का प्रथम “सनातन संसद भवन”
- वेद मंदिर एवं वेदागार
- गुरुकुल एवं प्रशिक्षण केंद्र (2000 विद्यार्थियों की क्षमता)
- 108 यज्ञशालाएँ
- 108 संत निवास
- 1008 भक्त आवास
- देशी गौसंरक्षण केंद्र
- सनातन टाइम म्यूजियम
- विशाल धर्मसभा मैदान (लगभग 10,000 की क्षमता)
- 108 तीर्थ स्थलों का प्रतीकात्मक परिक्रमा पथ
साथ ही ध्यान केंद्र, विशाल भोजनालय, पुस्तकालय, शोध संस्थान और अन्य सहायक संरचनाओं का भी निर्माण किया जाएगा।
विश्व का पहला “सनातन संसद” मॉडल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह विशेष रूप से बताया गया कि यह विश्व का पहला सनातन संसद मॉडल होगा, जहाँ भारत सहित विश्वभर से गुरु, संत, महात्मा और आचार्य अपनी-अपनी परंपराओं के प्रतिनिधित्व के साथ सहभागी बनेंगे। इसका उद्देश्य सनातन धर्म को संगठित, सशक्त और अखंड स्वरूप प्रदान करना है।
हर वर्ष 1 लाख सनातन योद्धा तैयार करने का लक्ष्य
विश्व सनातन महापीठ की एक महत्वपूर्ण योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 1,00,000 सनातन योद्धाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें लाठी, पारंपरिक शस्त्रों, आत्मरक्षा, योग, साधना, अनुशासन तथा शारीरिक-मानसिक दृढ़ता का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इन योद्धाओं का उद्देश्य आक्रमण नहीं, बल्कि आत्मरक्षा, परिवार की सुरक्षा, सनातन धर्म की रक्षा और राष्ट्र सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना होगा।
पूज्य राम विशाल दास जी महाराज का दृष्टिकोण
पूज्य तीर्थाचार्य श्री राम विशाल दास जी महाराज ने कहा—
“विश्व सनातन महापीठ केवल एक भवन नहीं, बल्कि सनातन धर्म की संगठित चेतना का वैश्विक केंद्र बनेगा। हमारा उद्देश्य धर्म को केवल आस्था तक सीमित न रखकर उसे जीवन, शिक्षा और सेवा से जोड़ना है।”
उन्होंने आगे कहा—
“यहाँ से निकलने वाले सनातन योद्धा परिवार, समाज, देश और धर्म के प्रति जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनेंगे।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
19 दिसंबर 2025 को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय पूर्व क्रिकेटर श्री प्रदीप सागवान की विशेष उपस्थिति रही। साथ ही श्री अशोक कुमार सोलंकी जी, श्री कुमार सोलंकी जी (सेवानिवृत्त उपाध्यक्ष), श्री शुभम मलिक जी एवं श्री अनुराग शर्मा जी (सदस्य, तीर्थ सेवा न्यास) भी उपस्थित रहे।
इन सभी गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने महाप्रकल्प के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों के समर्थन को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
सनातन चेतना का वैश्विक केंद्र बनने की ओर
आयोजकों के अनुसार, 21 नवंबर 2025 को हुआ शिला पूजन इस दीर्घकालिक संकल्प का पहला औपचारिक चरण है।
2032 तक पूर्ण रूप से स्थापित होने के बाद, विश्व सनातन महापीठ भारत की आध्यात्मिक पहचान को वैश्विक मंच पर नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा और सनातन संस्कृति, वैदिक ज्ञान एवं आध्यात्मिक संवाद का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनेगा।













Leave a Reply