देश के कई बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है। दिल्ली-NCR, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, पटना और बेंगलुरु जैसे महानगरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खराब और बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है। इसी के चलते केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रदूषण नियंत्रण को लेकर नई चर्चा और सख्त नीतियों पर मंथन तेज हो गया है।
शहरों में बिगड़ती हवा बनी चिंता का कारण
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, वाहनों की बढ़ती संख्या, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उड़ती धूल और ठंड के मौसम में हवा की धीमी गति प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। कई शहरों में PM2.5 और PM10 कणों का स्तर तय मानकों से कई गुना अधिक दर्ज किया गया है, जिससे लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है।
‘No PUC, No Fuel’ अभियान पर जोर
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने ‘No PUC, No Fuel’ अभियान को सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है। इस अभियान के तहत जिन वाहनों के पास वैध PUC (Pollution Under Control) प्रमाणपत्र नहीं होगा, उन्हें पेट्रोल या डीज़ल नहीं दिया जाएगा। कई राज्यों में पेट्रोल पंपों को इस नियम का कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं।
वाहनों पर नियंत्रण और सख्त नियम
सरकार का मानना है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का बड़ा कारण है। इसी वजह से:
- पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई
- BS-VI मानकों का कड़ाई से पालन
- इलेक्ट्रिक और CNG वाहनों को बढ़ावा
- सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहन
जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी तेज
सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों की नियमित जांच के आदेश दिए हैं। जिन फैक्ट्रियों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ जुर्माना और अस्थायी बंदी जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा गंभीर असर
डॉक्टरों के अनुसार, खराब हवा के कारण दमा, एलर्जी, सांस की बीमारी, आंखों में जलन और हृदय रोगों के मामले बढ़ रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों में इसका असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। कई अस्पतालों में श्वसन रोग से जुड़े मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
जनता से सहयोग की अपील
सरकार और पर्यावरण विशेषज्ञों ने आम लोगों से अपील की है कि वे:
- निजी वाहनों का कम उपयोग करें
- कार पूलिंग अपनाएं
- सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा इस्तेमाल करें
- कचरा और पत्तियां न जलाएं
- प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करें
दीर्घकालिक समाधान की तैयारी
सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले समय में हरित ऊर्जा, शहरी हरित क्षेत्र (ग्रीन बेल्ट), साइकिल ट्रैक और स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे दीर्घकालिक उपायों पर काम किया जाएगा, ताकि प्रदूषण की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार, उद्योग और आम नागरिक मिलकर प्रयास करें, तो आने वाले वर्षों में शहरों की हवा को साफ और सुरक्षित बनाया जा सकता है।













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