जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए भारत सरकार ने देश को पर्यावरणीय संकट से बचाने के लिए एक नई राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी लाना और भारत को हरित विकास (Green Growth) की दिशा में आगे बढ़ाना है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार हाल के वर्षों में देश में अत्यधिक गर्मी, अनियमित मानसून, बाढ़, सूखा और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह रणनीतिक कदम उठाया है।
नई राष्ट्रीय योजना के प्रमुख बिंदु
इस योजना के अंतर्गत सरकार निम्न क्षेत्रों पर विशेष फोकस करेगी:
✔ नवीकरणीय ऊर्जा – सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में तेज़ी
✔ इलेक्ट्रिक वाहन नीति – ई-वाहनों को बढ़ावा और चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार
✔ उद्योगों में ग्रीन टेक्नोलॉजी – कम प्रदूषण वाली तकनीकों को अनिवार्य करना
✔ वन संरक्षण और वृक्षारोपण – बड़े स्तर पर हरित क्षेत्र विकसित करना
✔ शहरी विकास – ग्रीन बिल्डिंग और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा
सरकार का लक्ष्य है कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखा जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।
राज्यों और उद्योगों की भूमिका
इस राष्ट्रीय योजना के तहत राज्यों को भी अपने-अपने स्तर पर जलवायु कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए जाएंगे। वहीं उद्योगों को कार्बन उत्सर्जन की नियमित रिपोर्टिंग और प्रदूषण नियंत्रण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना प्रभावी रूप से लागू की गई, तो भारत न केवल अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकेगा।
जनभागीदारी पर जोर
सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में जनभागीदारी बेहद जरूरी है। ऊर्जा की बचत, प्लास्टिक का कम उपयोग और हरित जीवनशैली अपनाकर आम नागरिक भी इस अभियान में योगदान दे सकते हैं।













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