वाराणसी के विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर आयोजित होने वाली भव्य गंगा आरती का आकर्षण इस बार पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार इस वर्ष आरती देखने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। विभिन्न देशों—अमेरिका, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस से आए पर्यटक घाट पर सुबह से ही अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए पहुँच गए थे।
आरती शुरू होने से कुछ देर पहले ही पूरा घाट मंत्रोच्चारण, शंखध्वनि, घंटियों की आवाज़ और दीपों की रोशनी से जगमगा उठा। पुजारियों द्वारा एक साथ किए जाने वाले नृत्यवत आरती के इस अद्भुत दृश्य ने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हवा में फैली अगरबत्ती की खुशबू और मां गंगा की लहरों पर पड़ती हजारों दीपों की चमक ने माहौल को और अधिक दिव्य बना दिया।
विदेशी पर्यटकों ने कहा कि गंगा आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक धड़कन का ऐसा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। कई पर्यटकों ने सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो साझा किए, जिनमें उन्होंने इस अद्भुत परंपरा की तारीफ करते हुए इसे “लाइफ टाइम एक्सपीरियंस” बताया।
स्थानीय नाविकों ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में नाव की बुकिंग कई गुना बढ़ गई है, क्योंकि बहुत से पर्यटक आरती को नदी के बीच से देखना पसंद करते हैं। इससे न केवल नाव चालकों की कमाई बढ़ी है, बल्कि घाट से जुड़े सैकड़ों छोटे व्यवसायों को भी फायदा हो रहा है।
दुकानदारों ने कहा कि मौसमी सामान, स्मृति चिह्न (सॉवेनियर), पूजा सामग्री और बनारसी हस्तकला की बिक्री में भी उल्लेखनीय बढ़त हुई है। होटल व्यवसायियों का कहना है कि विदेशी पर्यटकों की अचानक बढ़ी संख्या से होटल बुकिंग लगभग फुल हो चुकी है।
स्थानीय प्रशासन ने भीड़ बढ़ने के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर दिया है। घाट पर अतिरिक्त पुलिस बल, नदी पुलिस और ड्रोन कैमरों की निगरानी लगाई गई है ताकि भक्तों और पर्यटकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
गंगा आरती के प्रति बढ़ती यह वैश्विक रुचि न सिर्फ काशी की आध्यात्मिक पहचान को मजबूत कर रही है, बल्कि शहर के पर्यटन कारोबार को भी नई ऊँचाइयों तक ले जा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस ऐतिहासिक परंपरा का यह स्वरूप आने वाले समय में काशी को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन का केंद्र बना सकता है।













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