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उत्तराखंड में वायु प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी में, सरकार ने आपात बैठक बुलाई—जनजीवन पर गहरा असर

उत्तराखंड के ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और इस समय स्थिति बेहद चिंताजनक स्तर तक पहुँच गई है। प्रदूषण मापने वाले एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ने कई क्षेत्रों में 400 का आंकड़ा पार कर लिया, जिसे पर्यावरण विशेषज्ञ ‘गंभीर’ श्रेणी में रखते हैं। इस स्तर पर हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM 2.5 और PM 10) न सिर्फ आंखों में जलन पैदा करते हैं, बल्कि फेफड़ों पर सीधे प्रभाव डालते हैं।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि सुबह और रात के समय हवा में धुंध और स्मॉग इतना बढ़ जाता है कि सड़कों पर दृश्यता कम हो जाती है। कई लोग सांस फूलने, खांसी और आंखों में चुभन की शिकायत कर रहे हैं। अस्पतालों में भी श्वसन से संबंधित मरीजों की संख्या में पिछले 48 घंटों में अचानक वृद्धि देखी गई है।

स्थिति का जायजा लेने के बाद राज्य सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आपात बैठक बुलाई है। बैठक में स्कूलों को 3 दिनों के लिए बंद करने, निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक लगाने और भारी वाहनों की आवाजाही सीमित करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार जल्द ही स्थिति को संभालने के लिए विशेष निर्देश जारी कर सकती है।

स्वास्थ्य विभाग ने विशेष सलाह जारी करते हुए कहा कि दमा, एलर्जी, दिल की बीमारी और बुज़ुर्गों को बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें। बच्चों को भी बाहरी गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों ने मास्क पहनने और घरों में एयर प्यूरीफायर या गीले कपड़े का प्रयोग करने की सलाह दी है ताकि हवा में मौजूद हानिकारक कणों से कुछ हद तक सुरक्षा मिल सके।

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारणों में —
• लगातार चल रहे निर्माण कार्य
• सड़कों पर उड़ती धूल
• मौसम में अचानक ठंड और हवा की धीमी गति
• वाहनों की बढ़ती संख्या
शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार तुरंत और कड़े कदम नहीं उठाती, तो आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है।

उधर, कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि प्रदूषण के खिलाफ दीर्घकालिक योजना बनाई जाए, जिसमें पेड़ों की संख्या बढ़ाना, औद्योगिक उत्सर्जन पर नजर रखना और पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाना शामिल हो।

फिलहाल प्रशासन अलर्ट मोड पर है और हर घंटे AQI की मॉनिटरिंग की जा रही है। लोगों को सरकारी हेल्पलाइन और ऐप्स के माध्यम से प्रदूषण से जुड़े अपडेट नियमित रूप से मिल रहे हैं।

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