ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इससे समुद्र स्तर बढ़ेगा और जल संकट गहराएगा।
तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग ने अब पृथ्वी के ग्लेशियरों के अस्तित्व पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। वैज्ञानिकों की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि लगातार बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण दुनिया के कई बड़े और छोटे ग्लेशियर असामान्य गति से पिघल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में कई ग्लेशियर पूरी तरह समाप्त हो सकते हैं।
ग्लेशियरों के पिघलने का सीधा असर समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और जलवायु असंतुलन के रूप में देखने को मिल रहा है। एशिया, यूरोप और अमेरिका के कई देशों में नदियों का मुख्य जल स्रोत ग्लेशियर ही हैं, ऐसे में इनके खत्म होने से पीने के पानी और कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बढ़ता कार्बन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण और वनों की कटाई इस संकट को और गंभीर बना रहे हैं। वैज्ञानिकों ने सरकारों और आम जनता से अपील की है कि ग्रीन एनर्जी, पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास को प्राथमिकता दी जाए, ताकि भविष्य में पृथ्वी और मानव जीवन को सुरक्षित रखा जा सके।












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