सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और तकनीक-आधारित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य-स्तर के सभी सरकारी स्कूलों में डिजिटल-लर्निंग सुविधाओं के विस्तार का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक पढ़ाई के साथ-साथ डिजिटल संसाधनों से जोड़ना और उन्हें भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार करना है।
शिक्षा विभाग के अनुसार इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल बोर्ड, हाई-स्पीड इंटरनेट, टैबलेट और ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके माध्यम से छात्र इंटरैक्टिव क्लास, वीडियो लेक्चर, ऑनलाइन टेस्ट और डिजिटल स्टडी मटेरियल का लाभ उठा सकेंगे।
डिजिटल-लर्निंग पहल से खास तौर पर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों के छात्रों को फायदा मिलने की उम्मीद है। अब उन्हें बेहतर शैक्षणिक सामग्री के लिए बड़े शहरों या निजी संस्थानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। विशेषज्ञ शिक्षकों के वीडियो लेक्चर और ऑनलाइन गाइडेंस से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
सरकार ने शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया है। शिक्षकों को डिजिटल टूल्स, ऑनलाइन टीचिंग मेथड और आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे छात्रों को प्रभावी और रोचक तरीके से पढ़ा सकें। इससे कक्षा में छात्रों की भागीदारी भी बढ़ेगी।
इस पहल का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों में डिजिटल स्किल्स का विकास करना है। डिजिटल लर्निंग के माध्यम से छात्र कंप्यूटर, इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य आधुनिक तकनीकों से परिचित होंगे, जिससे उन्हें आगे चलकर उच्च शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकेंगे।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल-लर्निंग के विस्तार से शिक्षा प्रणाली अधिक लचीली और समावेशी बनेगी। छात्र अपनी गति से सीख सकेंगे और कठिन विषयों को बार-बार समझने का अवसर मिलेगा। इससे ड्रॉपआउट रेट में भी कमी आने की संभावना है।
सरकार ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में डिजिटल-लर्निंग योजना को और अधिक स्कूलों तक फैलाया जाएगा और शिक्षा क्षेत्र में तकनीक का उपयोग बढ़ाया जाएगा। यह पहल देश की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।













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