भारत और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ी प्रगति देखने को मिल रही है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देश अमेरिकी आयात शुल्क में कटौती करने के लिए एक समझौते के करीब पहुंच गए हैं, जो द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने हाल ही में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक करीबी दोस्त मानते हैं, और भारत-अमेरिका संबंध फिर से गति पकड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “दोनों नेताओं के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंध हैं, और यह आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को गहरा करने में मदद कर रहा है।”
व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह टैरिफ समझौता सफल होता है, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। विशेष रूप से, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव पार्ट्स के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों को बड़ा लाभ मिल सकता है।
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम अमेरिकी प्रशासन के साथ सक्रिय वार्ता कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य एक ऐसा व्यापक समझौता करना है जो दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी हो। टैरिफ में कटौती व्यापार को सुगम बनाएगी और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती देगी।”
हालांकि, कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। अमेरिका ने भारत से कुछ क्षेत्रों में बाजार पहुंच बढ़ाने, बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा मजबूत करने और कृषि उत्पादों पर प्रतिबंधों को कम करने की मांग की है। इसी तरह, भारत ने एच-1बी वीजा नीति में सुधार और अमेरिकी सेवा क्षेत्र में भारतीय पेशेवरों की आसान पहुंच की मांग की है।
व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह समझौता होता है, तो यह भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक नया अध्याय खोल सकता है। वर्तमान में, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार $190 बिलियन से अधिक का है, और दोनों देशों ने इसे अगले पांच वर्षों में $500 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
भारतीय उद्योग जगत ने इस संभावित समझौते का स्वागत किया है। फिक्की और सीआईआई जैसे उद्योग संगठनों ने कहा है कि यह कदम भारतीय निर्यात को बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन में मदद करेगा।













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