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भारतीय छात्रों के विदेश में नामांकन में 2025 में 5.7% की गिरावट, शिक्षा प्राथमिकताओं में बदलाव

आज, 19 दिसंबर 2025 को शिक्षा सेक्शन में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह पता चला है कि इस वर्ष भारतीय छात्रों का विदेश में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन लगभग 5.7% घट गया है। यह गिरावट केवल आकस्मिक नहीं है, बल्कि इसमें कई महत्वपूर्ण कारण शामिल हैं, जैसे बढ़ती शिक्षा लागत, कठिन वीज़ा नियम, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और घर के पास ही बेहतर और किफायती विकल्प चुनने की प्रवृत्ति।

यह रुझान केवल आंकड़ों का प्रतिबिंब नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय छात्र और उनके अभिभावक अब शिक्षा के मूल्य, गुणवत्ता और रोजगार संभावनाओं पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।


मुख्य जानकारी

विश्वभर में भारतीय छात्रों की संख्या:
दुनिया भर में लगभग 1.2 मिलियन (12 लाख से अधिक) भारतीय विद्यार्थी उच्च शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में घटा है।

देशवार स्थिति:

  • कनाडा: भारतीय छात्रों का नामांकन कम हुआ है।
  • यूएसए: थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन वीज़ा प्रोसेसिंग में देरी छात्रों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
  • ऑस्ट्रेलिया: कुल नामांकन रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन नए छात्रों की संख्या पहले जैसी तेजी से नहीं बढ़ी।
  • यूके: अभी भी भारतीय छात्रों के लिए स्थिर और लोकप्रिय विकल्प बना हुआ है, हालांकि अन्य उभरते देशों में भी रुचि बढ़ रही है।

शिक्षा विशेषज्ञ क्या कहते हैं

विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट केवल विदेशी शिक्षा में रुचि की कमी नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि:

  • भारतीय परिवार शिक्षा की गुणवत्ता, लागत और रोजगार संभावनाओं को पहले से ज्यादा गंभीरता से देख रहे हैं।
  • छात्रों और अभिभावकों के लिए ROI (Return on Investment) और वर्क परमिट सुविधाएँ अब मुख्य निर्णय कारक बन गए हैं।
  • डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और घरेलू विश्वविद्यालय अब छात्रों की प्राथमिकताओं में तेजी से शामिल हो रहे हैं।

परिणाम और संभावनाएँ

  1. गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा की मांग में वृद्धि:
    भारतीय छात्र अब अपने करियर और भविष्य की योजनाओं के अनुसार अधिक व्यावसायिक और रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम चुन रहे हैं।
  2. विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में विस्तार:
    विदेशी विश्वविद्यालय अब भारत में कैम्पस खोलने और ऑनलाइन संयुक्त कार्यक्रम (Joint Online Programs) की ओर बढ़ रहे हैं, ताकि छात्रों को घर के पास ही गुणवत्ता शिक्षा मिले।
  3. कम खर्चीले और नौकरी-उन्मुख पाठ्यक्रमों की ओर रुझान:
    छात्रों का ध्यान अब उन विकल्पों की ओर बढ़ रहा है जो कम लागत, बेहतर रोजगार अवसर और कौशल विकास प्रदान करें।
  4. विश्व शिक्षा体系 में बदलाव:
    यह रुझान दर्शाता है कि वैश्विक शिक्षा की प्राथमिकताएँ बदल रही हैं, और भारतीय छात्रों की रुचियाँ धीरे-धीरे व्यावसायिक, सुलभ और रणनीतिक विकल्पों की ओर बदल रही हैं।

विशेष ध्यान देने योग्य बिंदु

  • शिक्षा लागत और वीज़ा नियमों में बदलाव ने विदेश में अध्ययन के निर्णय को प्रभावित किया है।
  • डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन पाठ्यक्रम अब छात्र और अभिभावक की प्राथमिकताओं में मुख्य विकल्प बनते जा रहे हैं।
  • छात्रों का ध्यान केवल विदेशी डिग्री तक नहीं है, बल्कि कौशल आधारित और रोजगारोन्मुख शिक्षा की ओर भी बढ़ रहा है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट दर्शाती है कि विदेश में शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय छात्रों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अब वे केवल डिग्री के लिए विदेश नहीं जा रहे, बल्कि कैरियर, रोजगार संभावनाएँ और निवेश की वापसी को भी ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रहे हैं।

इस रुझान से स्पष्ट होता है कि:

  • भारतीय शिक्षा बाजार और वैश्विक शिक्षा प्रदाताओं के बीच संबंध बदल रहे हैं।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में कैम्पस खोलना और संयुक्त कार्यक्रम बढ़ाना जरूरी हो गया है।
  • छात्रों के लिए विकल्प व्यावसायिक, सुलभ और रणनीतिक बनते जा रहे हैं।

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