केंद्रीय शिक्षा बोर्ड ने शिक्षा प्रणाली को समय के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से प्रतियोगी परीक्षाओं के मानकों में व्यापक सुधार की घोषणा की है। बोर्ड के अनुसार आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अब आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस (AI), डिजिटल शिक्षा और तकनीकी ज्ञान को विशेष महत्व दिया जाएगा, ताकि छात्रों को आधुनिक युग की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके।
नई व्यवस्था के तहत पाठ्यक्रम में तकनीकी और कौशल-आधारित विषयों को शामिल किया जाएगा। इसमें आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिसिस, डिजिटल लिटरेसी, साइबर सुरक्षा और कंप्यूटर आधारित समस्या समाधान जैसे विषयों को प्रमुखता दी जाएगी। इससे छात्रों की तार्किक क्षमता और तकनीकी समझ को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का स्वरूप भी पहले से अधिक व्यावहारिक और विश्लेषणात्मक होगा। प्रश्नों का फोकस रटने की बजाय समझ, लॉजिकल थिंकिंग और रियल-लाइफ एप्लीकेशन पर रहेगा। इससे छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित करने में सहायता मिलेगी।
इस बदलाव का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के छात्रों को मिलेगा। डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट और वर्चुअल क्लासरूम की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे छात्रों को समान अवसर मिल सकें। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी मजबूत किया जाएगा।
शिक्षकों और कोचिंग संस्थानों के लिए भी नई गाइडलाइंस जारी की जाएंगी, ताकि वे छात्रों को नए पैटर्न के अनुसार प्रशिक्षण दे सकें। इसके लिए शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे तकनीकी विषयों को सरल और प्रभावी तरीके से पढ़ा सकें।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय शिक्षा बोर्ड का यह निर्णय छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे न केवल छात्रों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी, बल्कि उन्हें भविष्य की तकनीक-आधारित नौकरियों के लिए भी तैयार किया जा सकेगा।
बोर्ड ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले समय में प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और डिजिटल बनाया जाएगा। यह सुधार देश की शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।













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