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देशभर के मंदिरों में पौष पूर्णिमा की तैयारियाँ तेज, श्रद्धालुओं की बढ़ी आस्था

पौष पूर्णिमा के पावन पर्व को लेकर देशभर के प्रमुख मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर विशेष तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा को अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दिन स्नान, दान तथा पूजा-अर्चना का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। इसी कारण उत्तर भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

प्रयागराज, वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और गया जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है। गंगा, यमुना, सरस्वती, क्षिप्रा और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों के घाटों पर श्रद्धालु विधि-विधान से स्नान कर दान-पुण्य कर रहे हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पौष पूर्णिमा पर किया गया स्नान और दान विशेष फलदायी माना जाता है, जिससे जीवन के कष्ट दूर होते हैं और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।

मंदिरों में इस अवसर पर विशेष पूजा-पाठ, महाआरती, हवन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। कई स्थानों पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पुजारी वर्ग द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष अनुष्ठान संपन्न कराए जा रहे हैं, जिससे मंदिरों का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय बना हुआ है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष पूर्णिमा से ही कल्पवास की परंपरा भी आरंभ होती है, जिसमें श्रद्धालु एक निश्चित अवधि तक संयमित जीवन व्यतीत करते हैं और धार्मिक साधना में लीन रहते हैं। प्रयागराज क्षेत्र में बड़ी संख्या में कल्पवासी इस अवसर पर पहुंच रहे हैं, जिसके चलते मेला क्षेत्र में विशेष व्यवस्था की गई है।

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और मंदिर समितियों ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। घाटों पर पुलिस बल और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है, वहीं यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए विशेष प्लान लागू किया गया है। श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और अनुशासन बनाए रखें।

कुल मिलाकर पौष पूर्णिमा का पर्व देशभर में गहरी श्रद्धा, आस्था और भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर उमड़ी भक्तों की भीड़ यह दर्शाती है कि धार्मिक परंपराएं आज भी लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

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