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महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार की बड़ी बैठक

देश में लगातार बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क नजर आ रही है। आम जनता पर पड़ रहे आर्थिक दबाव को देखते हुए सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। इस बैठक में वित्त मंत्रालय, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग, पेट्रोलियम मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

बैठक के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों, ईंधन दरों, दाल-अनाज, सब्जियों, दूध, तेल और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की मौजूदा स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। सरकार ने स्वीकार किया कि महंगाई का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है और इससे घरेलू बजट पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है। इसी कारण महंगाई को नियंत्रित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।

सूत्रों के अनुसार बैठक में यह फैसला लिया गया कि आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा ताकि बाजार में किसी भी प्रकार की कमी न हो। इसके लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने, परिवहन व्यवस्था को सुचारु करने और राज्यों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही आयात-निर्यात नीति में आवश्यक बदलाव कर कीमतों को संतुलित रखने की योजना पर भी चर्चा हुई।

सरकार जमाखोरी और कालाबाजारी पर सख्त रुख अपनाने के मूड में है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जो व्यापारी कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ाने की कोशिश करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके लिए नियमित छापेमारी और बाजार की निगरानी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

बैठक में ईंधन कीमतों को लेकर भी चर्चा हुई, क्योंकि पेट्रोल और डीजल के दामों का असर लगभग सभी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है। सरकार इस दिशा में दीर्घकालिक समाधान तलाशने पर विचार कर रही है, ताकि परिवहन लागत को नियंत्रित किया जा सके और महंगाई पर अप्रत्यक्ष रूप से लगाम लगाई जा सके।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार द्वारा लिए गए ये फैसले प्रभावी तरीके से जमीन पर लागू किए जाते हैं, तो आने वाले महीनों में महंगाई दर में धीरे-धीरे कमी देखने को मिल सकती है। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि बाजार में स्थिरता भी बनी रहेगी।

सरकार को उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा। साथ ही उपभोक्ताओं का भरोसा भी मजबूत होगा और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत देखने को मिलेंगे।

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