आज वाराणसी (इलाहाबाद/बनारस) में एक ऐतिहासिक और पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत ने पहली indigenous (भारतीय तकनीक से तैयार) हाइड्रोजन आधारित ईंधन से चलने वाली विदेशी-स्तर की पैसेंजर वेसल (passenger vessel) को सार्वजनिक रूप से लॉन्च किया है।
यह 24 मीटर लंबी हाइड्रोजन फ्यूल सेल कैटरमैरन गंगा नदी पर यात्रियों के लिए सेवा करेगी और यह पारंपरिक डीज़ल-जनित जहाज़ों की तुलना में किसी भी प्रकार का धुआँ, कार्बन प्रदूषण या जहरीले उत्सर्जन नहीं करती। इसका मुख्य स्रोत हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम है, जो पानी को ही एकमात्र उत्सर्जन के रूप में छोड़ता है — यह उपकरण वन और नदी पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत सुरक्षित है।
🔋 हाइड्रोजन फ्यूल टेक्नोलॉजी — साफ़ भविष्य की दिशा
यह कैटरमैरन
✔ हाइड्रोजन फ्यूल सेल,
✔ बैटरी सपोर्ट,
✔ और सोलर पावर
तीनों तकनीकों का संयोजन है, जिससे यह 8 घंटे तक बिना किसी प्रदूषण के सतत रूप से चल सकता है।
इस परियोजना को Cochin Shipyard Limited (CSL) और Inland Waterways Authority of India (IWAI) के सहयोग से विकसित किया गया है। यह देश की नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य (Net-Zero Emissions by 2070) और “Maritime Vision 2030 / Maritime Amrit Kaal Vision 2047” के उद्देश्यों से पूरी तरह मेल खाता है।
पर्यावरण पर सकारात्मक असर
विशेषज्ञों के अनुसार,
गंगा नदी पर डीज़ल युक्त जहाज़ों की तुलना में इस हाइड्रोजन-ईंधन जहाज़ से कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होगा,
जल जीवों और तटीय पारिस्थितिकी को नुकसान नहीं पहुंचेगा,
शहरी प्रदूषण में कमी आएगी,
और
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
यात्रा की पहली यात्रा वाराणसी के नमो घाट से ललिता घाट तक शानदार समारोह के साथ की गई, जिसमें केंद्रीय मंत्री और राज्य-स्तरीय अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर सभी ने इसे भारत की पर्यावरण-प्रेमी प्रौद्योगिकी क्रांति का प्रतीक बताया।













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