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विश्व सनातन महापीठ उद्‍घोषणा एवं शिला पूजन समारोह – हरिद्वार ने देखा इतिहास का नया अध्याय

21 नवम्बर 2025 | अमेरिकन आश्रम, भूपतवाला, हरिद्वार

21 नवम्बर 2025 का सूर्योदय हरिद्वार के लिए किसी दिव्य पर्व से कम नहीं था। पवित्र गंगा तट के समीप स्थित अमेरिकन आश्रम ने उस दिन वह क्षण देखा, जिसने सनातन संस्कृति के आने वाले समय की दिशा और दृष्टि दोनों बदल दी।
विश्व सनातन महापीठ की भव्य उद्‍घोषणा एवं शिला पूजन समारोह पाँच हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति में अत्यंत भव्यता, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जाओं के साथ सम्पन्न हुआ।

यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सनातन धर्म के वैश्विक पुनर्जागरण का प्रारंभ बनकर उभरा।


वेदिक मंगलाचरण से प्रारंभ—आध्यात्मिक ऊर्जा का विस्तृत रूप

समारोह का आरंभ पवित्र वैदिक मंत्रोच्चार, ध्वज-स्थापन, यज्ञ-हवन और दीप प्रज्वलन से हुआ।
भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनी, शंखनाद की गूंज और हजारों श्रद्धालुओं की भावनाओं ने वातावरण को तपोमय बना दिया।
पूरा आश्रम परिसर दिव्यता की ऊर्जा से स्पंदित होता रहा, मानो समय एक क्षण के लिए थम गया हो और आध्यात्मिक शक्ति स्वयं प्रकट हो उठी हो।


संतों और महान आध्यात्मिक गुरुओं की अपूर्व उपस्थिति

समारोह में देशभर से आए प्रतिष्ठित संतों और विशिष्ट अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को अलौकिक गरिमा प्रदान की।
बड़े-बड़े आचार्य, प्रतिष्ठित महंत, धर्माचार्य, विद्वान और समाज के प्रेरक पुरुष—सभी एक ही उद्देश्य से एकत्रित हुए:
सनातन धर्म की विश्वभर में प्रतिष्ठा को नए युग की ओर अग्रसर करना।

उनके आगमन पर वातावरण “जय श्रीराम” और “हर हर महादेव” के घोष से भर उठा, और श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर उनका स्वागत किया।


तीर्थ सेवा न्यास की संरचनात्मक दिशा ने बढ़ाया आयोजन का गौरव

पूरे कार्यक्रम का संचालन तीर्थ सेवा न्यास की दिशा-निर्देशन में हुआ, जिसके नेतृत्व ने आयोजन की योजना, व्यवस्था और अनुशासन को अत्यंत उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया।
न्यास के प्रमुख पदाधिकारियों ने अपनी गरिमामयी भूमिका से समारोह को सुचारू, अनुशासित और भव्य बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया।

न्यास के प्रमुख

  • संरक्षक — पूज्य बाबा हठयोगी जी महाराज
  • अध्यक्ष — तीर्थाचार्य रामविशाल दास जी महाराज
  • महामंत्री — महंत ओम दास जी महाराज
  • उपाध्यक्ष — डॉ. गौतम खट्टर, राजेश कुमार, अशोक सोलंकी
  • राष्ट्रीय समन्वयक — शिशिर चौधरी
  • कोषाध्यक्ष — पूजा कन्नौजिया जी

इन सभी ने अपनी जिम्मेदारियों का अत्यंत समर्पण, अनुशासन और उत्कृष्ट संगठन कौशल के साथ निर्वहन किया।
समारोह की हर गतिविधि—व्यवस्था, सत्कार, मंच संचालन, धार्मिक आयोजन, श्रद्धालुओं की सेवा और सुरक्षा—बेहद सुचारू और प्रभावशाली रूप से सम्पन्न हुई।

उनके सामूहिक प्रयासों और नेतृत्व ने इस ऐतिहासिक आयोजन को और भी भव्य, अनुकरणीय और अविस्मरणीय बना दिया।


शिला पूजन—मन, मंदिर और महापीठ का पवित्र संगम

समारोह का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और भावनात्मक क्षण रहा शिला पूजन, जिसमें विश्व सनातन महापीठ की आधारशिला का वैदिक विधि-विधान के साथ अभिषेक किया गया।
संतों के मंत्रोच्चार, हवन अग्नि की सुगंध और श्रद्धालुओं की भावनाओं ने वातावरण को अपूर्व आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

यह केवल एक शिला नहीं, बल्कि—

  • सनातन धर्म की विश्वव्यापी यात्रा का मील का पत्थर,
  • आस्था का दृढ़ प्रतीक,
  • और आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कृति, अध्यात्म और संस्कारों का संदेश बनकर स्थापित हुई।

समापन—सनातन संस्कृति के नवयुग की शुरुआत

समारोह का समापन सामूहिक प्रार्थना, आशीर्वाद और सांस्कृतिक संकल्प के साथ हुआ।
यह दिवस हरिद्वार की दिव्यता और सनातन संस्कृति की विराटता का ऐसा संगम बन गया, जिसे समय की धारा कभी मिटा नहीं पाएगी।

विश्व सनातन महापीठ की यह घोषणा न केवल एक धार्मिक पहल है, बल्कि एक सांस्कृतिक मिशन, एक आध्यात्मिक आंदोलन और वैश्विक स्तर पर सनातन चेतना के पुनर्जागरण का प्रथम प्रकाश है।

हरिद्वार से उठी यह दिव्य ज्योति विश्वभर में धर्म, शांति, संस्कार और आध्यात्मिकता का मार्ग प्रशस्त करती रहेगी।

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